जब कोई काम आपके दो तीन अथक प्रयासों के बावजूद नहीं होता तो इसे अपनी नियति पर छोड़ देना चाहिए । उसके लिए प्रयास जारी रखें परन्तु उसके लिए व्यथित न हों और व्यतीत भी न हों ।
सुलझी हुई सी शक्सियत समझते हैं लोग मुझे, मगर कोई जानता नहीं कि, उलझा सा मुझमें कोई और भी रहता है ।